उच्चतम न्यायालय ने अदालत प्रबंधकों के संबंध में नियम बनाने का दिया निर्देश
सुभाष मनीषा
- 16 May 2025, 05:38 PM
- Updated: 05:38 PM
नयी दिल्ली, 16 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को सभी उच्च न्यायालयों को निर्देश दिया कि वे अदालत प्रबंधकों की कार्यप्रणाली पर नियम बनाएं या उनमें संशोधन करें और तीन महीने के भीतर उसे मंजूरी के लिए संबंधित राज्यों को सौंपें।
न्यायालय प्रबंधकों की अवधारणा पहली बार 13वें वित्त आयोग (2010-2015) द्वारा न्यायाधीशों को उनके प्रशासनिक कर्तव्यों के निर्वहन में सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से प्रस्तावित की गई थी।
अदालत प्रबंधकों की नियुक्ति जिला न्यायालयों और उच्च न्यायालयों दोनों में की जानी है।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई, न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालयों को असम नियम, 2018 से प्रेरणा लेते हुए नियम बनाने या संशोधित करने चाहिए।
पीठ ने इस मुद्दे पर अपने फैसले में कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि उच्च न्यायालयों द्वारा बनाये गए नियमों या उनके संशोधनों की प्राप्ति के बाद, संबंधित राज्य सरकारें इसे अंतिम रूप देंगी और तीन महीने की अतिरिक्त अवधि के भीतर मंजूरी देंगी।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों और राज्य सरकारों को अपनी विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप उपयुक्त संशोधन या परिवर्तन करने की छूट है।
इसने स्पष्ट किया कि मूल वेतन, भत्ते और अन्य सेवा लाभों के उद्देश्य से अदालत प्रबंधकों का न्यूनतम पद द्वितीय श्रेणी के राजपत्रित अधिकारी का होना चाहिए।
पीठ ने कहा, ‘‘हम निर्देश देते हैं कि देश के सभी उच्च न्यायालय, 2018 के असम नियम को आदर्श नियम मानकर अदालत प्रबंधकों की भर्ती और सेवा शर्तों के लिए नियम बनाएंगे या उनमें संशोधन करेंगे तथा इस फैसले की तारीख से तीन महीने की अवधि के भीतर इसे राज्य सरकार के अनुमोदन के लिए प्रस्तुत करेंगे।’’
शीर्ष अदालत ने कहा कि उच्च न्यायालयों में नियुक्त अदालत प्रबंधकों को उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल या रजिस्ट्रार के निर्देशों और पर्यवेक्षण में काम करना चाहिए।
पीठ ने कहा कि जिला न्यायालयों में नियुक्त अदालत प्रबंधकों को संबंधित न्यायालयों के रजिस्ट्रार या अधीक्षकों की देखरेख में काम करना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘अदालत प्रबंधकों के कर्तव्यों, कार्यों और जिम्मेदारियों का निर्धारण करते समय, उच्च न्यायालयों की नियम समिति यह सुनिश्चित करेगी कि उनके कर्तव्य, कार्य और जिम्मेदारियां उच्च न्यायालय/जिला न्यायालयों के रजिस्ट्रारों के कर्तव्यों, कार्यों और जिम्मेदारियों को ‘ओवरलैप’ न करें।’’
पीठ ने कहा कि अदालत प्रबंधक, जो पहले से ही संविदा आधार पर या तदर्थ आधार पर काम कर रहे हैं, उन्हें सेवाएं देना जारी रखना चाहिए तथा आवश्यक परीक्षा में उत्तीर्ण होने पर उनकी सेवाएं नियमित की जानी चाहिए।
पीठ ने निर्देश दिया कि अदालत प्रबंधकों के नियमितीकरण की प्रक्रिया संबंधित राज्यों द्वारा नियमों को मंजूरी दिए जाने की तिथि से तीन महीने के भीतर पूरी कर ली जाएगी।
न्यायालय ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट करते हैं कि उच्च न्यायालयों के संबंधित रजिस्ट्रार जनरल और राज्य सरकारों के मुख्य सचिव उपरोक्त समयसीमा का पालन करने के लिए व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार होंगे।’’
पीठ ने कहा कि यह भी निर्देश दिया गया है कि पहले से कार्यरत अदालत प्रबंधकों को राज्यों द्वारा नियमित किया जाना चाहिए क्योंकि न्यायालयों में उचित प्रशासनिक व्यवस्था के लिए उनकी सहायता आवश्यक पाई गई।
फरवरी 2022 की अपनी रिपोर्ट में, द्वितीय राष्ट्रीय न्यायिक वेतन आयोग (एसएनजेपीसी) ने अदालत प्रबंधकों की भूमिका सहित न्यायिक प्रशासन के विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया।
रिपोर्ट में गैर-न्यायिक कार्यों को संभालने के लिए अदालत प्रबंधकों की नियुक्ति की सिफारिश की गई है, ताकि न्यायाधीश अपनी मुख्य न्यायिक जिम्मेदारियों पर ध्यान केंद्रित कर सकें।
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