अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस: पीटीआर से ग्रामीणों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू
यासिर पवनेश
- 29 Jul 2025, 05:09 PM
- Updated: 05:09 PM
(संजोय कुमार डे और संजय सहाय)
रांची/मेदिनीनगर, 29 जुलाई (भाषा) झारखंड वन विभाग ने बाघों के लिए एक बेहतर आवास सुनिश्चित करने के उद्देश्य से पलामू बाघ अभयारण्य (पीटीआर) के अंदर स्थित 35 गांवों के ग्रामीणों के पुनर्वास की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अधिकारियों ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
अधिकारियों ने बताया कि वन सीमा के अंतर्गत जयगीर गांव में रहने वाले लगभग 160 लोगों को पहले ही आरक्षित क्षेत्र से बाहर पुनर्वासित किया जा चुका है।
पीटीआर के निदेशक एसआर नतेश ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘जयगीर गांव के लोगों को पलामू जिले में आरक्षित क्षेत्र के बाहर स्थित पोलपोल में स्थानांतरित कर दिया गया है जबकि कुजरुम और लाटू इन दो गांवों के ग्रामीणों का भी पुनर्वास करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।’’
यहां एक अन्य अधिकारी ने बताया कि लगभग 10 हजार की जनसंख्या वाले करीब 35 गांव आरक्षित वन के मुख्य क्षेत्र में स्थित हैं, जहां अक्सर मानव-वन्यजीव संघर्ष होता रहता है।
पीटीआर के 1,129.93 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से 414.08 वर्ग किलोमीटर बाघों के निवास के लिए महत्वपूर्ण यानी मुख्य क्षेत्र है और शेष 715.85 वर्ग किलोमीटर को 'बफर जोन' के रूप में चिह्नित किया गया है।
कुल क्षेत्रफल में से 226.32 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र बेतला राष्ट्रीय उद्यान के रूप में नामित है जबकि बफर जोन में 53 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर्यटकों के लिए खुला है।
पीटीआर के उप निदेशक प्रजेश जेना ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘सभी 35 गांवों के ग्रामीणों का चरणबद्ध तरीके से आरक्षित क्षेत्र से बाहर पुनर्वास किया जाएगा। पहले चरण में 10 गांवों के ग्रामीणों का पुनर्वास होगा, जिनमें से तीन दक्षिणी प्रभाग में और सात पीटीआर के उत्तरी प्रभाग में हैं।’’
उन्होंने बताया कि लाटू में लगभग 80 घर और कुजरुम में 50 से अधिक घर हैं। कुजरुम से 10 परिवारों का पहले ही पोलपोल में पुनर्वास किया जा चुका है।
जेना ने बताया, ‘‘तीन गांवों के ग्रामीणों का पुनर्वास किए जाने के बाद, हम मंडल बांध क्षेत्र से सात और गांवों का लातेहार ज़िले के सरजू प्रखंड के लाई-पैला पत्थल गांव में पुनर्वास करवाएंगे। इसी तरह, दूसरे चरण में 10 गांवों के ग्रामीणों का पुनर्वास किया जाएगा।’’
उन्होंने कहा कि पीटीआर अधिकारियों ने अगले तीन वर्षों में सभी 35 गांवों का पुनर्वास किए जाने का लक्ष्य रखा है।
जेना ने कहा कि पीटीआर पुनर्वास नीति के अनुसार, 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के प्रत्येक व्यक्ति को एक इकाई या परिवार माना गया है और वह 15 लाख रुपये नकद या दो हेक्टेयर भूमि का हकदार होगा।
कैमरे की तस्वीरों और अन्य साक्ष्यों के आधार पर पीटीआर अधिकारी अब छह बाघों की गतिविधियां यहां दर्ज किये जाने का दावा कर रहे हैं।
भाषा यासिर