एनसीएलटी ने जगन की सरस्वती पावर के शेयर बहन, मां को हस्तांतरण रद्द करने की याचिका स्वीकार की
निहारिका अजय
- 29 Jul 2025, 02:30 PM
- Updated: 02:30 PM
हैदराबाद, 29 जुलाई (भाषा) राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) की हैदराबाद पीठ ने आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाई एस जगन मोहन रेड्डी की याचिका मंगलवार को स्वीकार कर ली और उनके पक्ष में निर्देश जारी किए।
जगन ने तीन सितंबर, 2024 को दाखिल याचिका में सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज में उनके तथा उनकी पत्नी भारती के शेयर को उनकी बहन वाई एस शर्मिला और मां विजयम्मा के नाम पर किए गए ‘‘अवैध हस्तांतरण’’ को रद्द करने का निर्देश देने का अनुरोध किया था।
याचिका में जगन ने एनसीएलटी से कंपनी में उनके और भारती द्वारा रखे गए शेयर के हस्तांतरण को रद्द करने, निरस्त करने और निष्प्रभावी करने के साथ ही सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज प्राइवेट लिमिटेड में उनका नाम बहाल करने का अनुरोध भी किया था।
युवजन श्रमिक रायथू कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) प्रमुख के वकील वाई सूर्यनारायण ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘ जगन मोहन रेड्डी की याचिका स्वीकार कर ली गई है। हम आदेश की प्रति का इंतजार कर रहे हैं। कुछ निर्देश भी दिए गए हैं। जगन मोहन रेड्डी द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि सरस्वती पावर में शेयर के हस्तांतरण की अनुमति दे दी गई है।’’
संपर्क करने पर शर्मिला के वकील के. देवी प्रसन्ना कुमार ने कहा कि वह इस आदेश के खिलाफ अपीलीय न्यायाधिकरण या उच्च न्यायालय में अपील दायर करेंगे।
जगन, भारती और विजयम्मा के पास सरस्वती पावर में क्रमशः 74.26 लाख (29.88 प्रतिशत), 41 लाख (16.30 प्रतिशत) और 1.22 करोड़ शेयर (48.99 प्रतिशत) हैं, जबकि शेष शेयर क्लासिक रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड के पास हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री ने शर्मिला के साथ अपने संबंधों में तनाव आने के बाद इस मुद्दे पर न्यायाधिकरण का रुख किया था। शर्मिला वर्तमान में आंध्र प्रदेश कांग्रेस इकाई की प्रमुख हैं।
याचिका में जगन ने कहा कि उन्होंने शर्मिला के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि ‘‘ प्यार एवं स्नेह के कारण’’ वह कंपनी में अपने और अपनी पत्नी के शेयर को एक उपहार स्वरूप अपनी अलग हो चुकी बहन को हस्तांतरित करेंगे। हालांकि, यह प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कुर्की सहित कुछ संपत्तियों के संबंध में लंबित मामलों के अधीन है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि वह 200 करोड़ रुपये के अतिरिक्त शेयर (जगन की अपनी संपत्ति) भी हस्तांतरित करना चाहते हैं, जो उन्होंने पिछले दशक के दौरान सीधे या अपनी मां के माध्यम से अपनी बहन को दी थी।
जगन ने अपनी बहन को लिखे पत्र में कहा कि कानूनी दायित्वों को पूरा किए बिना और अदालत से मंजूरी लिए बिना शेयर हस्तांतरण के संभावित रूप से प्रतिकूल प्रभाव होंगे।
हालांकि, उन्होंने समझौता ज्ञापन को रद्द करने की इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि दोनों भाई-बहनों के बीच अब अच्छे संबंध नहीं हैं।
जगन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया, ‘‘ यह विनम्रतापूर्वक प्रस्तुत किया जाता है कि याचिकाकर्ताओं को बहुत आश्चर्य और हैरानी हुई है कि प्रतिवादी संख्या एक (सरस्वती पावर एंड इंडस्ट्रीज) कंपनी के निदेशक मंडल के प्रस्ताव ने याचिकाकर्ता संख्या एक व दो (क्रमशः जगन और भारती) की संपूर्ण शेयरधारिता को प्रतिवादी संख्या दो (शर्मिला) के पक्ष में और याचिकाकर्ता संख्या तीन (परिवार के स्वामित्व वाली क्लासिक रियल्टी) की संपूर्ण शेयरधारिता को प्रतिवादी संख्या तीन (विजयम्मा) के पक्ष में स्थानांतरित कर दिया है।’’
वाईएसआरसीपी प्रमुख ने कहा कि शर्मिला ने अपने भाई के प्रति कृतज्ञता दिखाए बिना कई ऐसे कार्य किए जिससे उन्हें गहरा दुख पहुंचा और उन्होंने सार्वजनिक रूप से कई झूठे झूठे बयान भी दिए।
इसलिए ही जगन ने समझौता ज्ञापन के तहत अपने शेयर हस्तांतरित करने के इरादे से आगे नहीं बढ़ने का निर्णय लिया है।
भाषा निहारिका