रोहिंग्या, बांग्लादेशी घुसपैठियों को बाहर निकालने के लिए प. बंगाल में एसआईआर किया जाना चाहिए: शुभेंदु
अमित प्रशांत
- 28 Jul 2025, 07:50 PM
- Updated: 07:50 PM
कोलकाता, 28 जुलाई (भाषा) भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार को कहा कि पश्चिम बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले ‘‘रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों’’ को बाहर करने के लिए निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) किया जाना चाहिए।
उत्तर 24 परगना जिले में भाजपा की 'नारी सुरक्षा यात्रा' में भाग लेते हुए अधिकारी ने कहा कि पार्टी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के शासन में महिलाओं पर कथित हमलों और दुर्व्यवहार के खिलाफ अपना विरोध तेज करेगी।
उन्होंने कहा कि पार्टी नौ अगस्त को 'नबान्न अभियान' (राज्य सचिवालय तक मार्च) का भी समर्थन करेगी। उन्होंने कहा कि मार्च का आयोजन ठीक एक साल पहले आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल की एक चिकित्सक के साथ बलात्कार और हत्या के लिए न्याय की मांग के लिए किया जाएगा।
एसआईआर के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल में इसकी बहुत आवश्यकता है। 17 लाख रोहिंग्या/बांग्लादेशी घुसपैठियों के नाम सूची से हटा दिए जाएंगे, जिन्हें बनर्जी सरकार ने वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल करने के लिए फर्जी दस्तावेज दिए थे।’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘इससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि तृणमूल कांग्रेस किस तरह अनुचित तरीकों से चुनाव जीतती रही है। अगले साल होने वाले चुनाव में ममता बनर्जी को सत्ता से बेदखल कर दिया जाएगा।’’
शुभेंदु अधिकारी ने तृणमूल प्रमुख पर विभिन्न राज्यों में बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान के अभियान को सांप्रदायिक रंग देकर गलत व्याख्या करने और यहां तक कि ‘‘लोगों को गुमराह करने के लिए राज्य के संसाधनों का उपयोग करके’’ बीरभूम में एक रैली आयोजित करने का आरोप लगाया।
उन्होंने ममता बनर्जी के बारे में कहा, ‘‘रैली में ज्यादा भीड़ नहीं थी। ममता बनर्जी हताश हो गई हैं। वह दीवार पर लिखी इबारत को समझ सकती हैं।’’
उन्होंने बेरोजगार शिक्षकों और राज्य सरकार के आंदोलनकारी कर्मचारियों की रैली के प्रति उदासीन रहने के लिए बनर्जी की आलोचना की और कहा कि वह कहीं और व्यस्त रहीं, जबकि प्रदर्शनकारी सड़क पर बैठे रहे।
शुभेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल सरकार रोहिंग्या मुसलमानों और बांग्लादेशियों सहित अवैध प्रवासियों को सामूहिक स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी करके मतदाता का दर्जा प्राप्त करने में मदद कर रही है। उन्होंने कई संवेदनशील सीमावर्ती जिलों में नये मतदाता पंजीकरण में असामान्य वृद्धि का हवाला दिया।
अधिकारी ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘‘पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों में एक परेशान करने वाली प्रवृत्ति सामने आयी है। पिछले सप्ताह औसतन 70,000 से अधिक फॉर्म-6 आवेदन जमा किए गए हैं, जो सामान्य 20,000-25,000 से तेज वृद्धि है, खासकर कूचबिहार, अलीपुरद्वार, जलपाईगुड़ी, मालदा, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, नादिया और उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में।’’
उन्होंने लिखा, ‘‘यह वृद्धि तथा पश्चिम बंगाल प्रशासन द्वारा स्थायी निवास प्रमाण पत्र जारी करने की खबर, राज्य सरकार के अनैतिक और अवैध प्रयासों के बारे में गंभीर चिंता पैदा करती है, जो घुसपैठ करने वाले रोहिंग्या मुसलमानों और अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों को वैध बनाने में मदद करते हैं। इसका उद्देश्य हमारी मतदाता सूचियों में हेरफेर करना है।’’
अधिकारी ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार को संबोधित 26 जुलाई का एक पत्र भी संलग्न किया, जिसमें मांग की गई है कि 25 जुलाई या उसके बाद जारी किए गए किसी भी स्थायी निवास प्रमाण पत्र को मतदाता सूची के जारी पुनरीक्षण के लिए वैध नहीं माना जाए, यदि ऐसी प्रक्रिया पश्चिम बंगाल में की जाती है।
अधिकारी ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री कार्यालय ने मुर्शिदाबाद, मालदा, दिनाजपुर, नादिया, कूचबिहार और 24 परगना सहित कई संवेदनशील जिलों के जिलाधिकारियों और उप-मंडल अधिकारियों को समन्वित तरीके से बड़ी संख्या में निवास प्रमाण पत्र जारी करने का निर्देश दिया है।
निर्वाचन आयोग ने पश्चिम बंगाल में बूथ-स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) को राज्य की मतदाता सूचियों के अपेक्षित विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से पहले ही प्रशिक्षण देना शुरू कर दिया है। यह प्रक्रिया पड़ोसी राज्य बिहार में पहले से ही जारी है।
निर्वाचन आयोग ने हालांकि अभी तक पश्चिम बंगाल में किसी भी एसआईआर कवायद की औपचारिक घोषणा नहीं की है, लेकिन टीएमसी को आशंका है कि राज्य को जल्द ही इसमें शामिल किया जा सकता है।
भाषा
अमित