तृणमूल सांसद ने प्रवासी उत्पीड़न को लेकर ममता पर ‘झूठा आरोप’ लगाने के लिए सैनी की आलोचना की
प्रशांत रंजन
- 26 Jul 2025, 10:37 PM
- Updated: 10:37 PM
कोलकाता, 26 जुलाई (भाषा) भाजपा शासित राज्यों की आलोचना जारी रखते हुए तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्य समीरुल इस्लाम ने शनिवार को हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी पर बंगालीभाषी प्रवासियों के कथित उत्पीड़न के बारे में चिंता जताने के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर “गलत आरोप लगाने” का आरोप लगाया।
पिछले महीने से भाजपा शासित राज्यों में बंगाली प्रवासियों की कथित हिरासत और उनके साथ दुर्व्यवहार के बारे में सोशल मीडिया पर मुखर रहे इस्लाम ने कहा कि शुरू से ही बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस के अन्य नेताओं ने वास्तविक घुसपैठियों के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया है।
उन्होंने हालांकि आरोप लगाया कि “बांग्लादेशियों के खिलाफ अभियान के नाम पर हरियाणा और अन्य भाजपा शासित राज्य वहां काम कर रहे हमारे भाइयों और बहनों को अवैध रूप से हिरासत में ले रहे हैं”।
सैनी की टिप्पणियों को “दुर्भाग्यपूर्ण” बताते हुए इस्लाम ने कहा, “उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर इस तरह के अतार्किक तरीके से हमला करते देखना ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ है, खासकर तब जब आप स्वयं पश्चिम बंगाल से आए बंगाली भाषी प्रवासी श्रमिकों को गैरकानूनी रूप से परेशान करके उनके साथ क्रूरता करने के लिए जिम्मेदार हैं।”
हरियाण के मुख्यमंत्री पर “गरीब भारतीय नागरिकों की पीड़ा को राजनीतिक और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश” का आरोप लगाते हुए इस्लाम ने पूछा, “क्या आप जानते हैं कि बंगाली देश में दूसरी सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है?”
सैनी ने शनिवार को ‘एक्स’ पर हिंदी में एक पोस्ट में कहा था, “पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का देश की सुरक्षा में सेंध लगाने वाले लोगों के प्रति सहानुभूति दिखाना न केवल दुर्भाग्यपूर्ण है, बल्कि राष्ट्रीय हितों के भी खिलाफ है। यह अत्यंत निंदनीय है कि एक मुख्यमंत्री तुष्टीकरण और वोट बैंक की राजनीति के चलते इस हद तक गिर जाए कि वह देश की सुरक्षा तक से समझौता करने लगे।”
उन्होंने कहा, “हरियाणा में बांग्लादेशी घुसपैठियों के लिए कोई स्थान नहीं है, उन्हें जल्द से जल्द प्रदेश से बाहर निकाला जा रहा है।” उन्होंने कहा, “ भारत की एकता, संप्रभुता और संविधान के विरुद्ध कोई भी समझौता न हरियाणा में स्वीकार्य है और न ही देश में।”
भाषा
प्रशांत