संयुक्त राष्ट्र गुरु तेग बहादुर की शहीदी दिवस को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस घोषित करे: एसजीपीसी
राजकुमार धीरज
- 26 Jul 2025, 10:27 PM
- Updated: 10:27 PM
अमृतसर, 26 जुलाई (भाषा) शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने शनिवार को कहा कि वह गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस घोषित करने के लिए संयुक्त राष्ट्र को पत्र लिखेगी।
इसी प्रकार का अनुरोध भारत सरकार से भी किया जाएगा, जिसमें नौवें सिख गुरु की शहादत के सम्मान में 25 नवंबर को राष्ट्रीय अवकाश घोषित करने की मांग की जाएगी।
एसजीपीसी ने शनिवार को अपने अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी की अध्यक्षता में अंतरराष्ट्रीय सिख सलाहकार बोर्ड की एक ऑनलाइन बैठक बुलाई, जिसमें गुरु तेग बहादुर की आगामी 350वीं शहादत दिवस मनाने पर चर्चा की गई।
बैठक में ब्रिटेन से गुरमीत सिंह रंधावा, कवलजीत कौर, बलवंत सिंह धामी और भाई गुरबख्श सिंह गुलशन, कनाडा से राजबीर सिंह और अमेरिका से मास्टर महिंदर सिंह और गुरचरण सिंह लांबा शामिल थे।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने शहीदी दिवस को वैश्विक मंच पर मनाने की आवश्यकता पर बल दिया और एसजीपीसी के प्रयासों का समर्थन करने की प्रतिबद्धता जताई।
बैठक के बाद धामी ने कहा कि बोर्ड के सदस्यों ने बहुमूल्य सुझाव साझा किए, जो इस कार्यक्रम के लिए लाभदायक होंगे।
धामी ने कहा कि सुझावों के आधार पर, संयुक्त राष्ट्र को एक औपचारिक पत्र भेजा जाएगा, जिसमें नौवें सिख गुरु के शहीदी दिवस को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस घोषित करने का आग्रह किया जाएगा।
इस बीच, एसजीपीसी ने दोहराया कि पंजाब सरकार के भाषा विभाग द्वारा गुरु तेग बहादुर के 350वें शहीदी दिवस के उपलक्ष्य में श्रीनगर में हाल में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान धार्मिक मर्यादा का उल्लंघन हुआ, जिससे सिख समुदाय को गहरी भावनात्मक ठेस पहुंची है।
धामी ने कहा कि सरकार की ‘धार्मिक मामलों के प्रति समझ और संवेदनशीलता की कमी’ और एकतरफा तरीके से ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने की उसकी जिद के कारण गुरु के सर्वोच्च बलिदान की पवित्रता से समझौता हुआ है।
इस मामले पर विवाद तब शुरू हुआ जब एसजीपीसी ने हाल में पंजाब सरकार द्वारा गुरु तेग बहादुर के शहीदी दिवस पर अलग से आधिकारिक कार्यक्रम आयोजित करने की योजना पर आपत्ति जताई और सरकार से धार्मिक मामलों में ‘हस्तक्षेप’ न करने को कहा।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बाद में एसजीपीसी की आपत्ति पर सवाल उठाया और पूछा कि क्या सर्वोच्च गुरुद्वारा संस्था के पास ऐसे कार्यक्रम आयोजित करने का ‘कॉपीराइट’ है।
भाषा
राजकुमार