भारत पेटेंट को ‘एवरग्रीन’ बनाये रखने की अनुमति नहीं देगा : गोयल
धीरज पवनेश
- 26 Jul 2025, 10:20 PM
- Updated: 10:20 PM
नयी दिल्ली, 26 जुलाई (भाषा)केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने शनिवार को कहा कि भारत पेटेंट को ‘एवरग्रीन’ बनाए रखने की अनुमति नहीं देगा।
उन्होंने कहा कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौतों और चार देशों के संगठन ईएफटीए (आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड का एक अंतर-सरकारी संगठन) में भारत का बौद्धिक संपदा अधिकार (आईपीआर) अध्याय काफी मजबूत है।
गोयल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘हम किसी भी तरह की ‘एवरग्रीन’ की अनुमति नहीं देंगे। इसके बावजूद दुनिया के दो सबसे कठिन देशों स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन के साथ आईपीआर के मामले में सख्त प्रावधान हैं।’’
भारतीय पेटेंट अधिनियम, 1970 की धारा 3(डी) पहले से ज्ञात औषधियों के लिए पेटेंट को प्रतिबंधित करती है, जब तक कि नए दावे प्रभावकारिता के मामले में बेहतर न हों, जबकि धारा 3(बी) उन उत्पादों के लिए पेटेंट पर रोक लगाती है जो सार्वजनिक हित के विरुद्ध हैं और मौजूदा उत्पादों की तुलना में बढ़ी हुई प्रभावकारिता प्रदर्शित नहीं करते हैं।
कुछ बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने भारत से इन कानूनों में संशोधन करने की मांग की है, जिसका कड़ा विरोध हो रहा है।
‘एवरग्रीन’ पेटेंट अधिकारो कथित तौर पर उन नवप्रवर्तकों द्वारा अपनाई गई एक रणनीति है जो उत्पादों पर पेटेंट अधिकार रखते हैं और कुछ छोटे-मोटे बदलाव करके, जैसे कि नए मिश्रण या फॉर्मूलेशन जोड़कर, उन्हें नवीनीकृत करते हैं। ऐसा तब किया जाता है जब उनका पेटेंट समाप्त होने वाला होता है। नए प्रारूप का पेटेंट होने से नवप्रवर्तक कंपनी को दवा पर 20 साल का एकाधिकार मिल जाता।
स्विट्जरलैंड और ब्रिटेन सहित कई देशों की दवा कंपनियां पेटेंटों को ‘एवरग्रीन’ बनाए रखने की मांग कर रही हैं।
गोयल ने कहा कि इन समझौतों में आईपीआर अध्याय से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत पर दबाव बेअसर है और यह विकसित देशों के साथ समानता के आधार पर काम कर रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने ब्रिटेन के साथ महत्वपूर्ण खनिज क्षेत्र में सहयोग के बारे में कहा कि दुर्लभ खनिजों पर (चीन द्वारा) लगाए गए प्रतिबंध के बाद भारत और ब्रिटेन दोनों की इस क्षेत्र में चिंताएं और समान हित हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पूरी दुनिया इस सच्चाई को जान चुकी है कि उनकी आपूर्ति श्रृंखलाओं का कुछ भौगोलिक क्षेत्रों तक संकेन्द्रण हानिकारक हो सकता है और किसी भी एकतरफा कार्रवाई के परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। इसलिए, भारत और ब्रिटेन अब खनिजों के प्रसंस्करण और शोधन तथा तैयार उत्पादों के निर्माण में सहयोग के लिए मिलकर काम करने पर विचार कर रहे हैं।’’
भाषा धीरज