प्रधान न्यायाधीश ने कॉलेजियम प्रणाली में 'पूर्ण पारदर्शिता' का आश्वासन दिया
देवेंद्र माधव
- 04 Jul 2025, 08:43 PM
- Updated: 08:43 PM
मुंबई, चार जुलाई (भाषा) भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई ने न्यायाधीशों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली में ‘‘पूर्ण पारदर्शिता’’ लाने का शुक्रवार को आश्वासन दिया, जिसमें योग्यता को लेकर कभी समझौता नहीं किया जाएगा और समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिलेगा।
पिछले महीने देश के 52वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति गवई ने देश के सर्वोच्च न्यायिक पद पर उनकी पदोन्नति के सम्मान में मुंबई बार एसोसिएशन द्वारा आयोजित यहां आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि क्योंकि उनके पूर्ववर्ती न्यायमूर्ति संजीव खन्ना प्रधान न्यायाधीश थे, इसलिए कॉलेजियम ने नियुक्तियों के मामलों में अधिक पारदर्शिता लाने की कोशिश की है।
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश दीपांकर दत्ता ने पिछले सप्ताह नागपुर में एक कार्यक्रम में कॉलेजियम के कामकाज में हस्तक्षेप के बारे में बात की थी।
प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मैं सभी को आश्वस्त करता हूं कि हम पूर्ण पारदर्शिता की प्रक्रिया अपनाएंगे। योग्यता से कभी समझौता नहीं किया जाएगा। हमारे पास समाज के सभी वर्गों के प्रतिनिधि होंगे।’’
उन्होंने कहा कि जब 2019 में उच्चतम न्यायालय में पदोन्नति के लिए उनके नाम की सिफारिश की गई थी, तो कॉलेजियम में एक न्यायाधीश इसके पक्ष में नहीं थे।
न्यायमूर्ति गवई ने न्यायाधीश का नाम बताने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘पिछले छह वर्षों से मैंने इसे गुप्त रखा था, जब मेरा नाम उच्चतम न्यायालय के लिए चर्चा में था, तो कॉलेजियम के एक न्यायाधीश को कुछ आपत्तियां थीं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘उन न्यायाधीश को लगता था कि अगर मुझे पदोन्नत किया गया तो मुंबई के कुछ वरिष्ठ वकीलों में बेचैनी पैदा हो सकती है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, मुंबई बार एसोसिएशन के कई वरिष्ठ वकीलों ने दिल्ली में उन न्यायाधीश से मुलाकात की और उन्हें बताया कि उनकी धारणा गलत है।’’
प्रधान न्यायाधीश गवई ने कहा, ‘‘मैं सदैव मुंबई बार एसोसिएशन का ऋणी रहूंगा, क्योंकि उस समय उच्चतम न्यायालय में मेरी पदोन्नति और उसके बाद सीजेआई के रूप में मेरी पदोन्नति कभी संभव नहीं होती।’’
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक न्यायाधीश का कर्तव्य हमेशा न्याय करना और संविधान को बनाए रखना है और उन्होंने हमेशा ऐसा करने का प्रयास किया है।
न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि जब उन्हें प्रधान न्यायाधीश नियुक्त किया गया था, तो उन्होंने मीडिया को कोई साक्षात्कार देने या किसी रूपरेखा के बारे में बोलने से इनकार कर दिया था।
उन्होंने कहा, ‘‘अभी बोलने के बजाय, मुझे लगा कि मुझे छह महीने बाद जब मैं सेवानिवृत्त हो जाऊंगा, तो अपने काम के आधार पर बोलना चाहिए। मैं खोखले वादे नहीं करना चाहता और किसी भी निराशा के लिए जगह नहीं छोड़ना चाहता।’’
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि वह इस गलत धारणा को भी दूर करना चाहते हैं कि उच्चतम न्यायालय सीजेआई-केंद्रित अदालत है।
भाषा
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